= नालंदा विश्वविद्यालय | SsDevrajनालंदा विश्वविद्यालय ~ SsDevraj

नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय
          


   नालंदा विश्वविद्यालय


हिंदुस्तान वैदिक सभ्यता और संस्कृति का केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विश्व विख्यात केंद्र था। नालंदा दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से एक है। इसकी स्थापना पांचवी शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। यहां बौद्ध धर्म के साथ साथ अन्य धर्मों की भी शिक्षा दी जाती थी और अनेक देशों के छात्र यहां पढ़ने आते थे। यह विश्व का प्रथम आवासीय विश्वविद्यालय था। उस समय इसमें तकरीबन 10000 विद्यार्थी और लगभग 2000 प्रध्यापक थे। इसमें भारत के साथ साथ कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फारस तथा तुर्की से भी छात्र यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। 1193 ईस्वी में तीसरा और सबसे विनाशकारी हमला करके तुर्क सेनापति बख्तियार खिलजी और उसकी सेना ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। भारत के ज्ञान के मुख्य केंद्र नालंदा के महान पुस्तकालय में आग लगा दी और लगभग 90 लाख पांडुलिपियों को जला दिया। नालंदा विश्वविद्यालय में इतनी सारी किताबें थी कि सभी किताबें 3 महीने तक जलती रही। इसके बाद बख्तियार खिलजी के आदेश पर तुर्की मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नालंदा के हजारों धार्मिक विद्वानों अध्यापकों और छात्रों की भी हत्या करवा दी।

महत्वपूर्ण बातें :- 

नालंदा के पुस्तकालय में लगभग 90 लाख पांडुलिपियों और हजारों किताबें रखी थी। 

तक्षशिला विश्वविद्यालय के बाद  नालंदा विश्वविद्यालय विश्व का सबसे बड़ा दूसरा विश्वविद्यालय था। यह विश्वविद्यालय लगभग 800 सालों तक अस्तित्व में रही। 

नालंदा विश्वविद्यालय की पुस्तकालय 9 मंजिलों की थी। इसमें 3 भाग थे। 

इस विश्वविद्यालय में साहित्य, ज्योतिषशास्त्र, मनोविज्ञान, कानून ,भाषा विज्ञान, अर्थशास्त्र, खगोल शास्त्र (Astronomy), युद्ध शिक्षा (warfare), विज्ञान, इतिहास, गणित, बास्तु शास्त्र(Architecture),  आयुर्विज्ञान( Medical Science)  जैसे कई विषय  पढ़ाई जाती थी। यहां कई दुर्लभ पुस्तकें थी प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ एवं खगोल शास्त्री आर्यभट्ट भी इस विश्वविद्यालय के एक समय कुलपति भी रहे थे।

एक बार बख्तियार खिलजी जब बुरी तरह से बीमार पड़े तो उन्होंने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि किसी भारतीय वैद्य को बुलाकर इस बीमारी का इलाज  करवाएं। भारतीय वैद्य नेआकर खिलजी को खाने के लिए औषधि जी दी लेकिन खिलजी ने खाने से इनकार किया। उसने  वैद्य से बगैर औषधि के इलाज करने के लिए कहा। वैद्य ने कुरान की प्रति मंगवाई और उनसे कहा कि आप इसको रोजाना दो बार पड़े। वैद्य ने कुरान की कागजों पर औषधि का लेप लगा दिया और कुछ दिनों के बाद खिलजी स्वस्थ हो गए। इस पर खिलजी को भारतीय आयुर्वैदिक ज्ञान पर काफी गुस्सा  आया। इसलिए उसने भारतीय आयुर्वैदिक ज्ञान और विज्ञान को जड़ से खत्म करने के लिए सारी पुस्तकालय के साथ-साथ हजारों विद्वान प्राध्यापकों छात्रों और लोगों को कत्ल करवा दिया।
यह था तत्कालीन मुस्लिम आक्रमणकारियों की मानसिकता जिसने हमारे वैदिक सनातन संस्कृति और सभ्यता तहस नहस किया तथा पूजा स्थलों और मंदिरों को सैकड़ों बार तोड़ा।
मुस्लिम आक्रमणकारियों की ऐसी समुदाय जिसने लूट, कत्ल, औरतों के साथ बलात्कार और जबरन मुस्लिम बनाने की मानसिकता ने हिन्दुस्तान की संस्कृति और सभ्यता को कलुषित और कलंकित ही किया।
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